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अरबी कॉलिग्राफी का इतिहास
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कॉलिग्राफी का अर्थ
अरबी कॉलिग्राफी एक कला है जो अरबी लिखाई को सजावट और रूप देने के लिए प्रयोग की जाती है। इसका मूल उद्देश्य ग्लीटरिंग से आगे बढ़कर शांति और संतुलन की तलाश के लिए लिखाई को एक सामान्यता देना होता है।
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कॉलिग्राफी का इतिहास
अरबी कॉलिग्राफी का इतिहास बहुत पुराना है। यह इस्लाम के साथ एक अभिनव मिश्रण है, जिसमें कॉलिग्राफी को इस्लामी धर्म के अभिजात तत्वों के साथ जोड़ा गया है। अरबी भाषा के बाद अरबी कॉलिग्राफी भी इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
इसके बाद से, अरबी कॉलिग्राफी का अभिविकास एक समृद्ध इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। इसका उल्लेख कुछ बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण अवसरों पर होता है जब अरबी कॉलिग्राफी का उपयोग किसी विशेष अवसर के लिए किया जाता है, जैसे कि निकाह, जन्मदिन और अन्य समारोहों के लिए नाम दर्ज करने के लिए।
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विभिन्न कॉलिग्राफी शैलियों का इतिहास
अरबी कॉलिग्राफी के विभिन्न शैलियों का इतिहास भी बहुत विस्तृत है। इसमें कई शैलियां होती हैं, जैसे कि कूफी, नस्तालीक, थुलथुलिया, दिवानी और मुहक्कक।
इनमें से कूफी एक सबसे पुराना शैली है जो इस्लामी स्क्रिप्ट का एक पहला रूप है। इसमें अक्षरों को बड़े और गोल रूप में लिखा जाता है।
नस्तालीक एक और शैली है जो आमतौर पर अरबी लिखाई को बहुत ही खूबसूरत रूप देता है। इसमें अक्षरों को बहुत ही सुंदर ढंग से लिखा जाता है।
थुलथुलिया एक और शैली है जो अक्षरों को एक बड़े गोल रूप में लिखता है जो इसका बहुत ही खूबसूरत रूप देता है।
दिवानी एक शानदार शैली है जो अक्षरों को बहुत ही सुंदर ढंग से लिखता है, इसमें अक्षरों को लम्बे और ढीले हाथों से लिखा जाता है।
अंत में, मुहक्कक एक शैली है जो अक्षरों को बहुत ही झंझटीली रूप से लिखता है।
अरबी लिखाई | उच्चारण | हिंदी अनुवाद |
---|---|---|
कूफी | koo-fee | कूफी |
नस्तालीक | nas-taa-leek | नस्तालीक |
थुलथुलिया | thul-thu-lee-yaa | थुलथुलिया |
दिवानी | dii-waa-nii | दिवानी |
मुहक्कक | mu-hak-kak | मुहक्कक |